Sunday, May 2, 2010

Khud todo apne records

एन . रघुरमन
क्या आपने कभी डोल्फिन के खेला है ? नहीं तो उसे टीवी पर खेलते हुए जरुर देखा होगा!आपने देखा होगा की कई लोग  कैसे उसे कुछ खिलाते है,पहली बार वे खाने के सामान को उसके पास ले जाते है ,डोल्फिन थोडा उचकती है और खा लेती है!उसके बाद आदमी खाने का सामान थोडा और ऊपर करता है ,डोल्फिन थोडा और ऊपर उछलती है और ले लेती है!उसके बाद और ऊपर!और ऊपर और ऊपर!डोल्फिन लगातार उछलती रहती है !एक जगह जाकर उसके उछलने की उचाई रुक जाती है!यानि डोल्फिन सिर्फ उतना ही उछल सकती है या उछलना चाहती है!
डोल्फिन के साथ एस प्रयोग मे यह दीखता है की वह हर बार अपना ही रिकॉर्ड तोड़ने की कोशिश करती है!उसकी शुरुआत जीरो से होती है फिर हर बार वह अपना ही रिकॉर्ड बनती है और आप चुनोती को ऊपर करते जाते है,वह अपना ही रिकॉर्ड तोडती रहती है!
यही जीवन है,यही प्रगति है,आपको हमेशा अपने रेकॉर्ड्स से लड़ना होता है,अपनी ही चीजों से आगे निकलना होता है.किसी दूसरी डोल्फिन के रेकॉर्ड्स से उसे कोई मतलब नहीं!
काम के साथ भी एसा होना चाहिए ,हर इन्सान को यह कोशिश करनी चाहिए की वह अपना रिकॉर्ड खुद ही तोड़े,उसे उसके लिए नए-२ बेंचमार्क बनाने चाहिए !एक कंपनी के रूप मे आपको सामने नयी-२ चुनोतियाँ रखनी चाहिए,उसे प्रोत्साहित करना चाहिए की पिछली बार तुमने इतना अच्छा काम किया था और एस बार उसे भी अच्छा काम करना होगा,काम हर बार बढता जायेगा ,उस आदमी के उछलने की ऊंचाई भी !एक दिन वह अपनी उम्मीद के मुकाबले कहीं जयादा ऊंचाई तक कूद सकता होगा!और वह अपनी कंपनी के लिए भी नए रेकॉर्ड्स बनाएगा ,कंपनी को भी अपने विकास के लिए यही तरीका अपनाना चाहिए!

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