Tuesday, April 27, 2010

भिखारी भी हो सकता है ब्रांड एंबेसडर.....

N. Raghuraman


भीख मांगने वाले लोगों को तभी भिखारी कहा जा सकता है जबकि वे दूसरों के सामने अपना हाथ फैलाएं। यदि वे भीख मांगना बंद कर दें तो क्या हम उन्हें भिखारी कह सकते हैं? कतई नहीं। कुछ पल के लिए इस बात को भूलकर हम दूसरे परिदृश्य पर आते हैं। मान कर चलते हैं कि हरेक व्यक्ति ने ट्रेन में सफर किया होगा।


ट्रेन में अक्सर हमारा सामना ऐसे किसी भिखारी से होता है जो लता मंगेशकर या मन्ना डे का कोई गीत ऐसी आवाज में गा रहा होता है, जिसके हम आदी नहीं होते। इस वजह से हम तुरंत इस तथाकथित भिखारी गायक को सिक्का दे देते हैं ताकि वह आगे बढ़ जाए और उसकी अजीब तान से हमारा पीछा छूटे। कई बार हम उसके गीतों का आनंद लेने लगते हैं और हमारे बोरिंग सफर के दौरान भिखारी जो ‘सेवाएं’ देता है, उसके बदले उसे पैसे भी देते हैं।


अब अपनी पहली बात पर आते हैं। आखिर इन भिखारियों को समुचित पोशाक और वेतन देते हुए ब्रांड प्रमोटर्स में तब्दील क्यों नहीं कर दिया जाता, जिससे उन्हें दूसरों के आगे हाथ न फैलाना पड़े। ये भिखारी सब जगह जाकर उन कारपोरेट जिंगल्स को गुनगुनाएं, जो हम अक्सर टेलीविजन स्क्रीन पर सुनते हैं। हमें कमल हासन द्वारा फिल्म ‘सदमा’ में किया गया मंकी एक्ट देखने के लिए पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं है। ये भिखारी इस तरह का मंकी एक्ट या किसी और पूर्व-निर्धारित एक्ट का प्रदर्शन वास्तव में कर सकते हैं और इसके लिए कारपोरेट्स द्वारा उन्हें धन दिया जा सकता है।



मैं जानता हूं कि मेरा यह विचार कई लोगों को रास नहीं आया होगा। एक पल के लिए जरा सोचें। चूंकि यह विचार एक भारतीय द्वारा पेश किया जा रहा है, इसलिए हमारी भृकुटियां तन र्गई और हमें लगा कि यह घटिया विचार है। लेकिन यदि मैंने इस गाथा की शुरुआत इस तरह की होती कि एक भिखारी अमेरिका में ब्रॉडवे स्टेशन के बाहर गिटार लेकर खड़ा पिछले तीस साल से गाने गा रहा है।


अब एक प्रतिष्ठित मल्टीनेशनल कारपोरेशन ने अपने कारपोरेट जिंगल्स गाने के लिए उसकी सेवाएं लेनी आरंभ कर दी हैं। यह जानकर हम में से ज्यादातर लोगों की प्रतिक्रिया होती- वाह! वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि पिछले महीने ब्रॉडवे में ऐसा ही एक भिखारी कारपोरेट इमेज प्रमोटर बन गया है।



फंडा यह है कि..
हमें यह स्वीकार करना होगा कि हम भारतीय भी लीक से हटकर सोचते हुए अनूठे विचार पेश कर सकते हैं, जो हर लिहाज से बेहतर हों।

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